इंदौर. हनी ट्रैप मामले में हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने जांच के लिए गठित एसआईटी को फटकार लगाई है. दरअसल, हाईकोर्ट ने हनी ट्रैप मामले की जांच कर रही एसआईटी के चीफ को बार-बार बदले जाने पर गृह सचिव से इस बदलाव का कारण जानने के लिए बंद लिफाफे में रिपोर्ट मांगी थी. सोमवार को एसआईटी चीफ राजेंद्र कुमार ने ये रिपोर्ट पेश की थी. लेकिन रिपोर्ट में अधूरी जानकारी और संतोषजनक तथ्य नहीं होने की वजह से हाइकोर्ट ने फटकार लगाते हुए निर्देश दिया कि अब उसकी अनुमति के बिना एसआईटी में शामिल किसी भी अधिकारी का तबादला नहीं किया जा सकता, ना ही एसआईटी की जांच से हटाया जा सकता है.
इसके अलावा अभी तक हनी ट्रैप मामले में जितने भी इलेक्ट्रॉनिक सबूत जब्त किए गए हैं, उन्हें जांच के लिए हैदराबाद स्थित आईटी लैब में भेजा जाएगा. हाइकोर्ट ने एसआईटी अधिकारियों को 15 दिन में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई दो दिसंबर को होगी.
जांच पर हाईकोर्ट की नज़र
समझा जा रहा है कि हाइकोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद अब पूरी जांच कोर्ट की निगरानी में की जाएगी. वरिष्ठ वकील मनोहर दलाल के मुताबिक मामले की अगली सुनवाई दो दिसंबर को होनी तय हुई है, एसआईटी को इन्वेस्टिगेशन स्टेटस रिपोर्ट जमा करनी होगी. साथ ही अब एसआईटी में कोई परिवर्तन नहीं किया जाये, एसआईटी में नियुक्त मौजूदा अधिकारियों का हाईकोर्ट की अनुमति के बिना तबादला नहीं किया जा सकेगा.
वकील मनोहर दलाल ने लगाई थी PIL
बता दें कि हनी ट्रैप मामले का खुलासा होने के बाद इसकी जांच के लिए सरकार ने एसआईटी का गठन किया था. लेकिन चंद दिनों में ही एसआईटी में कुछ ही दिनों मेें शीर्ष स्तर के अधिकारियों का तबादला हुआ था, इसी पर सीनियर वकील मनोहर दलाल ने हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में जनहित याचिका दाखिल की थी. याचिका में उन्होंने यह अपील की थी कि बार-बार एसआईटी चीफ बदलने से जांच प्रभावित हो सकती है. साथ ही हनी ट्रैप मामले की जांच हाईकोर्ट के देख-रेख में की जाए. इसी पर सुनवाई करते हुए पिछली तारीख पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जांच रिपोर्ट बंद लिफाफे में पेश करने का आदेश दिया था.