अनुमान के विपरीत आए नतीजे


- आलोक दुबे
प्रधान संपादक


हालांकि विधानसभा चुनावों में स्थानीय मुद्दे अधिक प्रभावी होते हैं, पर राष्ट्रीय मुद्दे भी कहीं न कहीं उनके साथ नत्थी होते हैं। भारतीय जनता पार्टी पिछले पांच सालों से विजय रथ पर सवार है। प्रधानमंत्री पर लोगों का भरोसा कमजोर नहीं हुआ है। इसलिए जिन राज्यों में पहले से भाजपा की सरकारें रही हैं, वहां माना जाता रहा है कि यह भरोसा उसे विजय दिलाएगा। मगर राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में यह प्रभाव काम नहीं आया। महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा को हुए नुकसान की कुछ वजहें साफ हैं। 


हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव नतीजे अनुमान के विपरीत आए हैं। भाजपा को पूरा विश्वास था और मतदान पश्चात के सर्वेक्षण भी बता रहे थे कि दोनों राज्यों में भाजपा की सरकार बनेगी। लेकिन नतीजे तो कुछ और ही आए। महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस और हरियाणा में मनोहरलाल खट्टर सरकार के कामकाज कमोबेश संतोषजनक ही नजर आ रहे थे। इसलिए दोनों जगहों पर भाजपा अपनी सीटों में इजाफे की उम्मीद कर रही थी, लेकिन दोनों ही जगह उम्मीदों पर पानी फिर गया। हरियाणा में नई बनी दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी ने अपनी जोरदारी पारी की शुरूआत की। वह दस सीटें अपने खाते में ले गई। जबकि इंडियन नेशनल लोकदल का एक तरह से अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। इन सबके बीच उम्मीद के उलट दोनों राज्यों में कांग्रेस की हैसियत बढ़ गई है। 


हालांकि विधानसभा चुनावों में स्थानीय मुद्दे अधिक प्रभावी होते हैं, पर राष्ट्रीय मुद्दे भी कहीं न कहीं उनके साथ नत्थी होते हैं। भारतीय जनता पार्टी पिछले पांच सालों से विजय रथ पर सवार है। प्रधानमंत्री पर लोगों का भरोसा कमजोर नहीं हुआ है। इसलिए जिन राज्यों में पहले से भाजपा की सरकारें रही हैं, वहां माना जाता रहा है कि यह भरोसा उसे विजय दिलाएगा। मगर राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में यह प्रभाव काम नहीं आया। फिर लोकसभा चुनावों में भाजपा ने अप्रत्याशित विजय हासिल की, तो पार्टी के हौसले स्वाभाविक रूप से बढ़े। इसके अलावा मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस लगातार कमजोर होती दिखी। महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा को हुए नुकसान की कुछ वजहें साफ हैं। एक तो यह कि उसने स्थानीय मुद्दों के बजाय कश्मीर, राष्ट्रवाद, पाकिस्तान, सुरक्षा आदि मुद्दे उठाए। स्थानीय मुद्दों की तरफ ध्यान नहीं दिया गया, जबकि विपक्षी दल उसे महंगाई, खराब अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, किसानों की बदहाली आदि मुद्दों पर घेर रहे थे। इसके अलावा, भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में जीत का अतिरिक्त आत्मविश्वास नजर आने लगा था। इसके अलावा उपचुनावों के परिणाम भी भाजपा के लिए बहुत उत्साहजनक नहीं हैं। ऐसे में ताजा नतीजे भाजपा को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने की तरफ संकेत करते हैं। नतीजों के बाद जहां हरियाणा में दुष्यंत चौटाला की पार्टी के समर्थन से मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री बन गए हैं, वहीं महाराष्ट्र में गठबंधन के बावजूद शिवसेना से रार जारी है। शिवसेना ५०:५० अनुपात के बहाने महाराष्ट्र में भाजपा से ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद मांग रही है और भाजपा इसके लिए राजी नहीं है। रोज समझौते के करीब पहुंचने के बाद फिर तकरार की खबरें आ जाती हैं।