कोरोना के सामने घुटनों पर आई दुनिया की अर्थव्यवस्था


नई दिल्ली. तीन प्रमुख वैश्विक वित्तीय संस्थानों ने चेतावनी दी है कि कोविड-19 महामारी के आर्थिक परिणाम आशंका से भी बदतर होंगे. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (UNCTAD) और विश्व बैंक का अनुमान है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार अनुमानों से ज्यादा धीमी रह सकती है. लगभग 5,000 बड़ी बहु-राष्ट्रीय कंपनियां अपने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर रोक लगा सकती हैं, क्योंकि उनकी कमाई कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते कम हो गई है.


आईएमएफ का अनुमान है कि कोरोना महामारी 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था को आशंका से ज्यादा चोट पहुंचाएगी और इसके बाद 2021 में सुस्त रिकवरी होगी. आईएमएफ के वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक के ताजा संस्करण के मुताबि​क, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2020 में -5 प्रतिशत तक सिकुड़ जाएगी, जो कि अप्रैल के अनुमान से करीब 2 ​फीसदी नीचे है.


आईएमएफ ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर भी अपने पहले के अनुमानों में सुधार किया है. अप्रैल में इसने अनुमान लगाया था कि भारतीय अर्थव्यवस्था 1.9 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, लेकिन 24 जून को अपने ताजा अनुमान में आईएमएफ ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था -4.5 फीसदी तक सिकुड़ जाएगी. आईएमएफ ने कहा है, “लंबी अवधि के लॉकडाउन के बाद भारत की अर्थव्यवस्था में 4.5 फीसदी तक की गिरावट का अनुमान है. अप्रैल में जिस रिकवरी की उम्मीद थी, उससे बहुत कम रहेगी.”



अब सवाल यह उठता है कि पिछले दो महीनों में ऐसा क्या हुआ कि आईएमएफ को अपने ही अनुमानों में इतना ज्यादा संशोधन करना पड़ा?


लगभग 5,000 प्रमुख वैश्विक फर्म ऐसी हैं जिनकी कमाई औसतन 40 फीसदी तक कम होने की उम्मीद है. ये कंपनियां दुनिया की लगभग आधी एफडीआई के लिए जिम्मेदार हैं. अंकटाड (UNCTAD) अपनी नवीनतम 'वर्ल्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट 2020' में कहा है कि इन कंपनियों की आय में गिरावट की वजह से साल 2020 में 40 फीसदी तक की कमी आएगी. 2005 के बाद यह पहली बार होगा, जब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एक ट्रिलियन डॉलर नीचे आएगा. इसके अलावा, 2021 में भी एफडीआई 5-10 फीसदी नीचे आएगा और 2022 तक इसके पुनर्जीवित नहीं होने का अनुमान है.