मध्य प्रदेश में राजनीतिक तनाव: मंत्रियों की लिस्ट फाइनल नहीं हो पाई, मुख्यमंत्री वापस लौटे


भोपाल। मध्य प्रदेश में राजनीतिक तनाव की स्थिति बन गई है। 2 दिन लगातार दिल्ली में डेरा जमाने के बाद भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपना मंत्रिमंडल बना पाने में नाकाम रहे। सोमवार देर रात भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली ऑफिस में मीटिंग चलती रही और कोई नतीजा नहीं निकला। मुख्यमंत्री वापस लौट आए हैं। आज मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं होगा। 
मध्य प्रदेश में पहली बार भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के बीच इस कदर की तनातनी दिखाई दे रही है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बाद भी बात नहीं बनी। सूत्रों की मानें तो इस संभावना पर भी विचार हुआ है कि फिर दस से बारह लोगों का छोटा मंत्रिमंडल विस्तार किया जाए। बाकी पद दूसरे मंत्रिमंडल विस्तार से भरे जाएं। 


इससे पहले शिवराज ने ज्याेतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह ताेमर से भी मुलाकात की। देर शाम नरोत्तम मिश्रा भी दिल्ली पहुंचे और बैठकों में शामिल हुए। इससे पहले दिन में मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके निवास सात लोक कल्याण मार्ग में मुलाकात की। मार्च 2020 में मुख्यमंत्री बनने के बाद यह उनकी प्रधानमंत्री से पहली मुलाकात थी। 


यहां फंसा रहा पेंच... 
सूत्राें की मानें प्रदेश संगठन शिवराज के पिछले कार्यकालों में मंत्री रहे सीनियर नेताओं को ड्रॉप कर नए चेहरों को मौका देना चाहता है, लेकिन मुख्यमंत्री चाहते हैं कि यह निर्णय बाद में लिया जाए। सिंधिया समर्थकों में से सभी बड़े नेताओं को मंत्री बनाया जाता है तो भाजपा के पास पद कम बचेंगे। संगठन चाहता है कि एक-दो लोगों को रोककर उन्हें उपचुनाव के बाद मंत्री बनाया जाए। ये उन छह लोगों के अलावा हैं जो पिछली कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे। मसलन कांग्रेस से भाजपा में सिंधिया समर्थक ओपीएस भदौरिया, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव और रणवीर जाटव भी दावेदार हैं। इन्हीं में से एक-दो लोगों को कम करने पर बात हो रही है, क्योंकि एंदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह और हरदीप डंग को मंत्री बनाना पहले ही तय हो चुका है।