भारत के लिए मुश्किलें खड़ी करता चीन


- आलोक दुबे
प्रधान संपादक


हिंसक झड़प की घटना के बाद तनावपूर्ण माहौल के बीच भी भारत ने अलग-अलग तरीकों से यह बात स्पष्ट कर दी है कि अपनी एक-एक इंच जमीन को लेकर वह पूरी तरह सजग है। इसलिए चीन को या किसी को भी इस मामले में कोई गफलत नहीं पालनी चाहिए। एक सैन्य अधिकारी का कहना है कि तोप से शांति निकलती है। अर्थात अगर आप सैन्य तैयारियों से मजबूत हैं, तो सीमा पर शांति बनी रहेगी। इसलिए भारत को किसी भी गलतफहमी में न रहते हुए अपनी सैन्य तैयारियों को मजबूती देना चाहिए और चीन की घेरेबंदी का जवाब भी ढूंढना चाहिए। 



भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव जरूर कम हो रहा है, लेकिन चीन भारत को घेरने के लिए रोज नए हथकंडे अपना रहा है। पहले उसने नेपाल को आर्थिक मदद देकर उसे भारत के खिलाफ भड़काया। इसी प्रकार बांग्लादेश को आयातित वस्तुओं में टैक्स में राहत देकर उसे भी खुश कर दिया और वह भी भारत को आंख दिखाने लगा है। श्रीलंका पहले से ही उसके चंगुल में है। पाकिस्तान तो उसका सदाबहार दोस्त बना हुआ है। पाकिस्तान ने खुश होकर उसे पाक अधिकृत कश्मीर का कुछ भाग तक दे दिया है। चीन ने उसकी डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए काफी मदद भी दी है। इसलिए वह चीन की जी हजूरी में लगा रहता है। वह चीन का एक गुड्डा है। चीन उसमें जितनी भी चाबी भर देता है, वह उतना ही चलता है।


पाकिस्तान पहले अमेरिका का गुड्डा था, अमेरिका ने भी उसे खूब मदद दी। जब अमेरिका का काम हो गया, तो उसने पाकिस्तान की तरफ से मुंह फेर लिया। मजबूरी में पाकिस्तान को चीन की शरण में जाना पड़ा। अब चीन ने उसकी सेना  को आधुनिक बनाने के लिए मदद का हाथ बढ़ाया है। उसे अरबों रुपए की मदद दी है। चीन ने नई चाल ईरान को अपने पाले में करने के लिए चली है। वह ईरान में अरबों डॉलर निवेश करने जा रहा है। इस कारण भारत की मदद से वहां पर चल रही परियोजनाओं पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। अमेरिकी प्रतिबंध के कारण पहले ही ईरान की अर्थव्यवस्था बर्बादी के कगार पर पहुंच गई है।  चीन की मदद से उसे उबरने का मौका मिलेगा, लेकिन चीन की शर्तों के कारण यहां भी भारत को नुकसान होगा। भारत वहां पर एक बंदरगाह, रेलवे लाइन और सड़कें बना रहा है। इससे वहां पर भारत की पकड़ मजबूत होती, लेकिन चीन ने यहां भी अडंगा लगा दिया है। इस तरह चीन सीमा पर तो शांत दिखाई दे रहा है, लेकिन उसकी कुटिल चालें तेजी से जारी हैं। वह भारत को चैन से नहीं बैठने देगा। इसलिए भारत को भी अभी से उसके मुकाबले के लिए रणनीतियां बनानी पड़ेंगी। 


उधर भारत-चीन सीमा पर शांति जरूर बनी हुई है, लेकिन कहा जा रहा है कि चीन अपने क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में जुटा हुआ है। अब वह पहले से भी ज्यादा तैयारी के साथ भारत के सामने डटकर खड़ा होगा। बहरहाल, भारत-चीन सीमा पर शांति की जरूरत से किसी भी स्थिति में इनकार नहीं किया जा सकता। यह अच्छी बात है कि दोनों पक्षों ने इस बात को स्वीकार करते हुए शांति की दिशा में कदम बढ़ाने शुरू किए हैं।