ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे बनेगी चीन से भी लंबी देश की पहली अंडर वॉटर टनल


केंद्र सरकार ने ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे 14.85 किलोमीटर की टनल बनाने को सैद्धांतिक मंजरी दे दी है. देश में पहली बार नदी के नीचे बनने वाली टनल पूर्वी चीन के ताइहू झील के नीचे बन रही टनल से अधिक लंबी होगी.


नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से ​बढ़े तनाव को कम करने के लिए एक ओर जहां सैन्य कमांडर की बातचीत जारी है, वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश से असम तक सड़क परिवहन को मजबूत करने की कवायद तेज कर दी है. केंद्र सरकार ने ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे 14.85 किलोमीटर की टनल बनाने को सैद्धांतिक मंजरी दे दी है. बता दें कि देश में पहली बार नदी के नीचे बनने वाली टनल पूर्वी चीन की ताइहू झील के नीचे बन रही टनल से अधिक लंबी होगी.


केंद्र सरकार ने असम के गोहपुर (एनएच-54) से नुमालीगढ़ (एनएच-37) को जोड़ने के लिए ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे चार लेन की सड़क टनल बनाने की योजना को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है. बताया जाता है कि सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रम राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचएआईडीसीएल) ने अमेरिका की कंपनी की ओर से नदी के नीचे तैयार की जाने वाली टनल की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) को मंजूरी दी है. बता दें कि अमेरिका की लुइस बर्जर कंपनी ने ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे 14.85 किलोमीटर लंबी टनल बनाने की प्री-फिजिबिलटी रिपोर्ट और डीपीआर तैयार की है.


इस टनल की खास बात ये होगी कि इसके अंदर से सैन्य वाहन और हथियारों से लैस वाहनों को 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाया जा सकता है. यह टनल असम और अरुणाचल प्रदेश को जोड़ने के दृष्टिकोण से काफी अहम साबित हो सकती है. खबर है कि इस टनल को तैयार करने की तमाम प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और दिसंबर में इस टनल पर काम शुरू किया जाएगा.


चीन में बन रही टनल की लंबाई 10.79 किलोमीटर है
पूर्वी चीन के ताइहू झील के नीचे निर्माणाधीन सड़क परिवहन टनल की लंबाई 10.79 किलोमीटर है. बता दें कि ताइहू झील के नीचे एक ही टनल बनाई जा रही है जबकि ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे बन रही टनल में आने और जाने के लिए अलग-अलग रास्ते होंगे. टनल के भीतर पानी न घुस सके इसके लिए कई सुरक्षा घेरे तैयार किए जाएंगे.


टनल की विशेषता
14 किलोमीटर लंबी टनल को बनाना जितना मुश्किल होगा उतना ही उसमें सफर करना भी कठिन होगा. दरअसल पानी के अंदर टनल में हवा का दबाव काफी कम होगा ऐसे में टनल के अंदर ताजी हवा के लिए वेंटिलेशन सिस्टम, फायर फाइटिंग, लाइट की व्यवस्था और इमरजेंसी एक्जिट आदि की सुविधाएं भी दी जाएंगी.