हैदराबाद. बायोफोर इंडिया फार्मा स्युटिकल्स ने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से कोविड-19 की दवा फेविपिराविर के निर्माण का लाइसेंस प्राप्त किया है. इस दवा का इस्तेमाल COVID-19 हल्के से मध्यम मामलों में किया जाता है. इसके अलावा, डीसीजीआई की ओर से भारत में एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडेंट्स का उत्पादन और इसके निर्यात के लिए भी मंजूरी दी गई है. Biophore India ने कहा कि तुर्की में एक स्थानीय साझेदार के सहयोग से एपीआई का निर्यात करने के लिए भी मंजूरी मिली और इसके अलावा, कंपनी भारत में उत्पाद का व्यवसायीकरण करने के लिए कई भारतीय भागीदारों के साथ बातचीत कर रही है. वहीं इसके निर्यात के लिए बांग्लादेश और मिस्र की कंपनियों के साथ निर्यात के लिए बातचीत जारी है.
बायोफोर के फाउंड और चीफ साइंटिस्ट ऑफिसर ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने दवा कंपनियों को सुरक्षा पर समझौता किए बिना प्रभावी समाधानों को जल्दी से जल्दी स्थापित और विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है. हमने सुनिश्चित किया है कि हमारे गुणवत्ता के उच्चतम मानकों को पूरा करते हैं. उन्होंने कहा, हमारी विनिर्माण सुविधाएं अमेरिका और यूरोपीय संघ के नियमों का पालन करती हैं और हमारे पास यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े आंतरिक इम्पोरिटी कंट्रोल और गुणवत्ता जांच हैं.
Favipiravir एक एंटीवायरल एजेंट है जिसे शुरू में खोजा और विकसित किया गया था क्योंकि यह एक अन्य RNA(राइबोन्यूक्लिक एसिड) वायरस, इन्फ्लूएंजा वायरस के खिलाफ अपनी गतिविधि के कारण विकसित हुआ था. भारत और तुर्की के अलावा, इसे पहले ही रूस और मध्य पूर्व के कुछ हिस्सों में COVID-19 के खिलाफ उपयोग के लिए मंजूरी दे दी गई है जबकि वर्तमान में दुनिया के अन्य हिस्सों में उन्नत चरण के परीक्षण चल रहे हैं.बायोफोर के सीईओ जगदीश बाबू रंगीसेट्टी ने कहा कि Favipiravir बनाने के लिए सभी सामग्री इन-हाउस विकसित किए गए हैं. जगदीश बाबू ने कहा, हमें विश्वास है कि यह API हमारे देश को कोविड-19 के खिलाफ हमारी एकजुट लड़ाई में आगे बढ़ने में मदद करेगा.
बता दें कि हैदराबाद की फार्मा कंपनी बायोफोर इंडिया फार्मास्युटिकल्स की स्थापना 2008 में हुई थी. हैदराबाद में इसके पास 80,000 वर्ग फुट में फैला रिसर्च और डेवलपमेंट सेंटर है, जहां दवाइयों के फॉर्मूले तैयार किए जाते हैं. इसने अमेरिका, चीन, जापान, रूस, ब्राजील, कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, इज्राएल और यूरोपीय संघ में 100 के आसपास पेटेंट दाखिल किए हैं और 50 से ज्यादा देशों को अपने उत्पाद निर्यात कर रही है.