प्रदेश सरकार को इस वित्तीय वर्ष में होगा 15 हजार करोड़ का नुकसान


भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार को इस वित्तीय वर्ष में कम से कम पंद्रह हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। वहीं केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि में भी कमी आने की पूरी आशंका है। एक अनुमान के मुताबिक केंद्र से इस बार मप्र को 13 से 15 हजार करोड़ रुपये तक कम मिल सकते हैं। इसके अलावा राज्य सरकार को आबकारी ठेकेदारों से विवाद के चलते पिछले तीन महीने में करीब तीन हजार करोड़ का नुकसान हो भी चुका है। राज्य शासन ने बचे हुए शराब ठेकों के लिए जो राशि तय की थी, उस हिसाब से ठेके नहीं जा रहे हैं।


कई मामलें में तो पचास प्रतिशत तक कम बोली लगाई गई है। अब राज्य सरकार स्थिति को भांपते हुए 80 फीसदी तक बोली लगाने वालों को ही दुकानें आवंटित करने के मूड में है। हालांकि पहले राज्य सरकार ने ठेके से 11,500 करोड़ रुपये की आमदनी की संभावना जताई थी, वहीं अन्य लाइसेंस शुल्क से उसे करीब 3500 करोड़ रुपए मिलना थे।


इस तरह आबकारी से ही मप्र को करीब 15000 करोड़ मिलना थे, लेकिन अब इतनी राशि मिलने की बिल्कुल संभावना नहीं है। सरकार को पहले ही 3000 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। वर्तमान हालातों में भी सरकार को तीन से चार हजार करोड़ रुपए कम ही मिलेंगे। मतलब ये कि ठेकेदारों से विवाद के कारण राज्य सरकार को कम से कम छह हजार करोड़ रुपए नुकसान तो होना तय है।


बस ऑपरेटर विवाद से भी नुकसान


राज्य सरकार का बस ऑपरेटरों से भी लॉक डाउन अवधि का टैक्स माफी को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। इस कारण से सरकार को 40 से 50 करोड़ रुपए का नुकसान होन लगा है। ऐसी स्थिति में जब राज्य सरकार की करों से आय तो कम हो ही रही है। अन्य आय के स्रोतों से होने वाली आय में भी लगातार गिरावट आ रही है।


जिला सहकारी बैंकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का प्रयास


प्रदेश में सहकारी केंद्रीय बैंकों को एक बार फिर राज्य सरकार आर्थिक संबल देने की योजना बना रही है। कोरोना महामारी के कारण इन बैंकों की वित्तीय स्थिति पर भी असर पड़ा है। अब नए सिरे से इन बैंकों को फिर पैरों पर खड़ा करने के लिए राज्य सरकार 2000 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता देगी। बताया जा रहा है कि इस संबंध में पिछली कमलनाथ सरकार ने भी प्रस्ताव तैयार कर लिया था, लेकिन उस समय राशि का भुगतान नहीं हो सका था। उसके बाद देश और प्रदेश में कोरोना महामारी का संकट छा गया, जो अब तक बरकरार है। प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता के चलते भी इस पर अमल नहीं हो सका।


बजट में होगा प्रावधान


सूत्रों की मानें तो राज्य सरकार अब नए सिरे से जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों की मदद के लिए बजट में राशि का प्रावधान करेगी। मध्यप्रदेश में वित्तीय वर्ष 2020-21 का बजट जुलाई में पेश किया जाना है। बजट 31 जुलाई से पहले पेश किया जाना है। इसमें सहकारी बैंकों को सशक्त करने के लिए राशि का प्रावधान किया जाएगा। बता दें कि जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों की आर्थिक स्थिति खराब होने के पीछे पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार की कर्ज माफी की योजना का काफी बड़ा हाथ रहा है। राज्य सरकार के दबाव के चलते इन बैंकों ने एनपीए खाते के दो लाख तक के कर्ज तो माफ कर दिए। लेकिन राज्य सरकार ने उनकी कोई अतिरिक्त मदद नहीं की। ऐसे में अब इन बैंकों को वित्तीय सहायता की जरूरत पड़ गई है, जिससे कि वह फिर आत्मनिर्भर हो सकें।